सिंगापुर में बसे हुए नौ भारतीय लेखकों की कविताओं का संकलन है ‘सिंगापुर नवरस’। नव अर्थात् नया और नव अर्थात् नौ भी। इस नवरस में नौ (9) लेखकों के मनोभावों और उनके जीवन के अनुभवों का रस समाहित है। जहाँ एक ओर इसमें भावों की कोमलता और मधुरता है तो वहीं दूसरी ओर कठोर यथार्थ की पथरीली राह भी शामिल है। खट्टे-मीठे, कच्चे-पक्के जीवन के अलग-अलग रंगों को समेटे इस नवरस में आपको कहीं-न-कहीं अपनी ज़िंदगी के अक्स नज़र आएँगे। कविताएँ कहीं गुगुदाएँगी, कहीं दिल के किसी तार को छू जाएँगी, कहीं सोचने पर मजबूर कर जाएँगी। शब्दों की शक्ल में ढली भावनाएँ आपके मानस में धीरे-धीरे उतरती चली जाएँगी। पठन करते हुए आपके समक्ष अतीत, वर्तमान और भविष्य के पन्ने करवट लेते हुए दिखाई देंगे। नौ लेखकों की कविताओं से सुसज्जित इस पुस्तक में आपको लेखन शैली के कई अंदाज़ नज़र आएँगे। हर लेखक का जीवन जीने का और उसे देखने का अपना एक अलग नज़रिया है। ठीक इसी प्रकार, हर लेखक की अपनी संवेदनाओं को शब्दों में पिरोने की भी एक विशिष्ट शैली है और यही विविधता इस पुस्तक की विशेषता है जो इसे एक अलग पहचान देती है।.